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Kidney Stone in Hindi – किडनी स्टोन को हिन्दी में गुर्दे की पथरी कहते हैं। यह एक आम समस्या है। जो गुर्दे या मूत्रपथ में होती है। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों और महिला एवं पुरुष दोनों को हो सकती है। गुर्दे की पथरी का साइज कितना भी छोटा या बड़ा हो, यह दर्द की वजह जरूर बनती है। इसके कारण कई बार लोगों को यूरीन करते वक्त भी असहनीय दर्द और असुविधा का सामना करना पड़ता है।

किडनी स्टोन क्या होते हैं? (What is Kidney Stone in Hindi)

किडनी स्टोन (Kidney Stones) को नेफ्रोलिथिआरीस (Nephrolithiasis) भी कहते हैं। यह एक तरह का कठोर और क्रिस्टलीय खनिज पदार्थ होता है। जो पीड़ित व्यक्ति के गुर्दे या मूत्रपथ में देखने को मिलता है। सरल शब्दों में कहें तो यह गुर्दों में मौजूद छोटे आकार का सख्त जमाव होता है। जो पेशाब (Urine) करने में जलन, कभी-कभी मूत्र में खून और उल्टी होने का कारण बनता है। किडनी स्टोन मूत्र मार्ग के किसी भी हिस्से में दर्द पैदा कर सकती है। यह गुर्दे से लेकर मूत्राशय (Bladder) तक को प्रभावित तक सकती है।

किडनी स्टोन या पथरी कितनी बड़ी होती है? यह कैसी दिखती है? 

किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी भिन्न-भिन्न आकार और लंबाई की होती है। साइज में यह बाजरे के दाने जितनी छोटी और गोल्फ की बॉल जितनी बड़ी हो सकती है। इस प्रकार एक स्टोन 4 एमएम (4mm) से लेकर 15 एमएम (15mm) तक हो सकती है। देखने में स्टोन अंडाकार, गोल या किसी साधारण पत्थर के टुकड़े जैसी हो सकती है।

जो स्टोन या पथरी थोड़ी खुरदरी या नुकीली होती है, उसमें तेज दर्द होता है। इस तरह की पथरी को प्राकृतिक रूप से निकाला मुश्किल होता है। वहीं, जो पथरी या स्टोन थोड़ी चिकनी होती है, उसमें दर्द भी कम होता है। इस तरह की पथरी पेशाब के साथ प्राकृतिक रूप से सहजता से बाहर निकल सकती है।

किडनी स्टोन के प्रकार (Types of Kidney Stone in Hindi)

गुर्दे की पथरी या स्टोन कई प्रकार की होती हैं। इनकी पहचान करने के लिए इनके आकार, स्थान और रूप के आधार पर जांच की जाती है। कुछ प्रमुख गुर्दे की पथरी के प्रकार निम्नलिखित हैं:

कैल्शियम ऑक्सलेट स्टोन: 

यह सबसे सामान्य स्टोन होती है। जो कैल्शियम और ऑक्सलेट के मिश्रण से बनती है। इसका आकार सामान्य से थोड़ा बड़ा होता है। ज्यादातर लोगों में यही स्टोन देखी जाती है।

सिस्टीन स्टोन:

यह पथरी सबसे कठिन (Hard) होती है। स्टोन का यह प्रकार सामान्य नहीं होता। यह सिस्टीन नामक अमिनो एसिड से बनी होती है, जो मूत्र से निकलते समय किडनी में बनती है।

स्ट्रुवाइट स्टोन:

यह स्टोन मैग्नीशियम, यूरिक एसिड और एमोनिया से बनती है। यह पथरी कम लोगों में देखी जाती है। यह स्टोन ज्यादातर महिलाओं में देखने को मिलती है।

यूरिक एसिड स्टोन: 

यह स्टोन यूरिक एसिड से बनती है। जोकि मूत्र में पाया जाता है। इस पथरी को ज्यादातर लोगों में देखा जा सकता है। यह आमतौर पर पुरुषों में अधिक पाई जाती है।

किडनी स्टोन के लक्षण (Symptoms of kidney stones)

ज्यादातर केस में किडनी स्टोन का तब तक पता नहीं चलता, जब तक पथरी किडनी के चारों ओर घूमने नहीं लगती या किडनी और ब्लैडर के बीच मूत्रवाहिनी (Ureter) में न आ जाए। जिसके बाद वह पथरी यूरिन के फ्लो को कम कर मूत्रवाहिनी में तेज दर्द पैदा करती है। तब किडनी स्टोन के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

गंभीर दर्द:

यह किडनी स्टोन के मुख्य लक्षणों में से एक है। यह दर्द पीठ के निचले हिस्से, पेट, नाभि या जांघों के बीच में होता है। 

मूत्र में संक्रमण:

अगर किडनी स्टोन मूत्र नलिका तक पहुंच जाती है तो मूत्र में संक्रमण के लक्षण भी हो सकते हैं। इन लक्षणों में यूरिन के समय दर्द, बदबू, मूत्र का असामान्य रंग और बार-बार यूरिन (पेशाब) आने का अनुभव होता है।

उल्टी:

कभी-कभार किडनी स्टोन से उल्टी भी हो जाती है। 

यूरिन में खून आना:

कभी-कभी किडनी स्टोन से मूत्र में खून भी आने लगता है। 

खुलकर पेशाब न आना:

गुर्दे की पथरी होने पर यूरिन का फ्लो कम हो जाता है। जिसके कारण खुलकर मूत्र नहीं आता और बार-बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है।

ठंड लगना और बुखार:

कुछ केस में किडनी की पथरी के कारण दर्द के साथ बुखार भी चढ़ जाता है।

पथरी होने के कुछ अन्य लक्षण-

  • 1. पसलियों के नीचे और पीठ में तेज दर्द होना। 
  • 2. यूरिन के रंग में बदलाव होना। 
  • 3. मूत्र में झाग आना। 
  • 4. भूख में कमी होना।
  • 5. उच्च रक्तचाप। 
  • 6. बार-बार अधिक कमजोरी महसूस होना। 
  • 7. तेज घबराहट होना या घबराहट से पसीना आना आदि।
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किडनी स्टोन के कारण (Causes of kidney stones)

किडनी स्टोन की समस्या उस समय होती है, जब किडनी में मौजूद ऊर्जा या पदार्थ का संचय होने लगता है। इससे  छोटे-छोटे बिंदुओं के रूप में स्टोन बनने लगते हैं। जो अक्सर मूत्रपथ में फंस जाते हैं। जिससे मूत्र निकलने में कठिनाई होती है। यह स्टोन दर्द, संक्रमण और अन्य समस्याओं का कारण बनते हैं। इसके अलावा किडनी स्टोन के कुछ आम कारण इस प्रकार हैं-

मोटापा: 

जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है, उनका मूत्र ज्यादा अम्लीय होता है। इसके अलावा उन लोगों में यूरिक एसिड और कैल्शियम की भी अधिक मात्रा होती है। इसकी वजह से ही उनकी किडनी में स्टोन बनना शुरू हो जाता है। इसलिए, अधिक मोटापे की समस्या से ग्रसित लोगों को किडनी स्टोन होने का ज्यादा खतरा रहता है।

डायबिटीज: 

जिन लोगों को अनियंत्रित या हाई ब्लड शुगर की समस्या होती है। उनके यूरिन में एसिड की मात्रा नॉन-डायबिटिक लोगों की तुलना में अधिक होती है। ऐसे में असामान्य यूरिक एसिड उत्सर्जन और किडनी द्वारा एसिड और क्षारीय भार को ठीक से मैनेज न कर पाने के कई कारण भी डायबिटीज के रोगियों को किडनी स्टोन होने का खतरा रहता है।

जंक फूड: 

जो लोग ज्यादा बाहर का खाना या जंग फूड का उपभोग करते हैं। उनमें भी किडनी स्टोन होने का खतरा बना रहता है। जंग-फूड में शक्कर और नमक की उच्च मात्रा होती है। इस वजह से यूरिन में साल्ट बनाने वाले केमिकल उत्सर्जित होने लगते हैं, जोकि किडनी स्टोन बनाने में सहायक होते हैं। इसलिए, लगातार हाई कैलोरी और हाई साल्ट फूड्स का सेवन करना सेहत के लिए जोखिमदायक साबित हो सकता है।

पानी की कमी: 

कई बार शरीर में पानी की कमी होने पर भी लोगों को किडनी स्टोन का सामना करना पड़ता है। 

रक्तचाप के असंतुलन: 

रक्तचाप के असंतुलन से भी लोगों में किडनी स्टोन का खतरा बढ़ सकता है।

खाने में अधिक प्रोटीन और नॉन-वेज आहार: 

ज्यादा प्रोटीन और नॉन-वेज का सेवन करने से भी लोगों में किडनी स्टोन बनने लगती है।

विटामिन ए या डी की कमी: 

बॉडी में विटामिन ए या डी की कमी होने से भी किडनी स्टोन का खतरा बढ़ता है।

आनुवंशिकता: 

कुछ लोगों में किडनी की पथरी होना, आनुवंशिक कारण भी होता है। 

अन्य दवाएं: 

जो लोग ड्यूरेटिक्स और अधिक कैल्शियम वाले एंटासिड लेते हैं, उन लोगों के यूरिन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे शरीर में पथरी का निर्माण भी हो सकता है। इसके अलावा भी कुछ दवाएं पथरी के निर्माण का कारण बन जाती हैं। 

कुछ अन्य कारण:

  • 1. 30 से 50 वर्ष के लोगों को किडनी स्टोन का खतरा सबसे ज्यादा रहता।
  • 2. हाई प्रोटीन, नमक और ग्लूकोज का सेवन।
  • 3. ड्यूरेटिक्स और एंटासिड्स जैसी टेबलेन का सेवन आदि।
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किडनी होने पर कौन सी जांच कराएं?

किडनी में स्टोन या गुर्दे की पथरी होने पर डॉक्टर मरीज को निम्नलिखित जांचें कराने के लिए बोल सकता है

उल्ट्रासाउंड:

उल्ट्रासाउंड से किडनी और स्टोन की स्थिति देखी जाती है। जिसमें पथरी के आकार और स्थान का पता लगाया जाता है।

एक्स-रे जांच:

कुछ केस में किडनी में पथरी की स्थिति देखने के लिए एक्स-रे (X-Ray) भी किया जा सकता है। ताकि किडनी में पथरी के स्थान और आकार का पता लगाया जा सके।

सीटी स्कैन: 

CT स्कैन डॉक्टर को किडनी के पारंपरिक एक्स-रे से ज्यादा जानकारी प्रदान करता है। इसलिए पथरी के आकार, स्थान और संरचना को देखने के लिए कुछ डॉक्टर्स किडनी स्टोन के लिए सीटी स्कैन के लिए भी बोल सकते हैं।

यूरोग्राफी:

किडनी, मूत्राशय या यूरेथ्रा की स्थिति देखने के लिए डॉक्टर मरीज को यूरोग्राफी के लिए भी बोल सकता है।

यदि आपको भी किडनी में पथरी होने का शक हो तो आपको जल्द से जल्द चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। ताकि उन्हें आपकी स्थिति के आधार पर सही जांच का निर्णय लेने में मदद मिल सके।

पथरी या स्टोन निवारण के प्रमुख तरीके (Major methods of kidney stone removal)

इन तमाम तरीकों से किडनी स्टोन (पथरी) का निवारण किया जा सकता है:

आहार और पानी का महत्व (Importance of diet and water) 

  • 1. ज्यादा पानी पीना:
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ज्यादा पानी पीना पथरी निवारण का सबसे सरल और महत्वपूर्ण उपाय है। दरअसल पानी यूरिन में मौजूद उन पदार्थों को गलाने का काम करता है, जिससे पथरी का निर्माण होता है। इसलिए दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पानी न केवल शरीर को किडनी स्टोन से बचाता है, बल्कि शरीर के अन्य कई तंत्रों के लिए भी फायदेमंद होता है।

  • 2. आहार बदलाव:
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कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन रोककर या कम करके भी पथरी का निवारण किया जा सकता है। जैसे कि नमक, चीनी, कॉफी और सोडा आदि खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना पथरी के उपचार के लिए अच्छा होता है। इनके स्थान पर फल, सब्जियां, अनाज और अधिक पानी आदि का उचित आहार लेना शरीर के लिए लाभप्रद साबित होता है।

दवाइयों द्वारा किडनी स्टोन का उपचार (Kidney stone treatment through medicines)

  • 1. पेन-किलर:
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कुछ पेन-किलर टैबलेट (Tablet) किडनी स्टोन के दर्द को कम करने में मदद करती हैं। इनमें एस्पिरिन, इबुप्रोफेन और एसिटामिनोफेन जैसी मेडिसिन (Medicine) शामिल हैं।

  • 2. कोस्कोपिन:
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इस दवा का प्रयोग किडनी स्टोन, किडनी के दर्द और गाउट या गठिया जैसी समस्याओं के इलाज हेतु किया जाता है।

  • 3. हेल्थविट यूरिनीड सीडी कैप्सूल:
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इस दवा का उपयोग किडनी से संबंधित बीमारियों को कम करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह दवा पथरी, यूरिन इन्फेक्शन, ई. कोलाई इन्फेक्शन और इंफ्लेमेटरी जैसी बीमारियों में भी मदद करती है।

  • 4. डियोकोर्टिन कैप्सूल:
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इस दवा के प्रयोग से भी किडनी स्टोन का खतरा कम होता है। इसके अलावा यह दवा किडनी से संबंधित अन्य रोगों में भी फायेदा करती है।

  • 5. जीवा गोकशुरा वरुनादि सिरप:
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यूरिन इंफेक्शन, किडनी स्टोन और इंफ्लेमेटरी जैसी समस्याओं को कम करने के लिए इस सिरप का भी उपयोग किया जाता है।

  • 6. कैंथारिस:
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किडनी में पथरी होने पर, यूरिन करते वक्त पेनिस में तेज दर्द और स्टोन वाले हिस्से पर दर्द होने पर, इस दवा का सेवन करने से दर्द में राहत मिलती है। 

लेजर द्वारा किडनी स्टोन का इलाज (Kidney stone treatment through laser)

किडनी स्टोन निवारण के लिए लेजर (Laser) का इस्तेमाल एक उन्नत उपचार है। इसके पारंपरिक तकनीकों (Techniques) की तुलना में कई फायदे हैं। इस तकनीक में गुर्दे की पथरी एवं मूत्र नली की पथरी (Ureteral Stones) आदि को बिना किसी कट या टांके के लेजर सर्जरी द्वारा हटाया जाता है। इस प्रक्रिया में लेजर का उपयोग स्टोन अर्थात पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने हेतु किया जाता है। इसके बाद उन पथरी के छोटे टुकड़ों को यूरिन के जरिए बॉडी (Body) से बाहर निकाल दिया जाता है। इसके लिए होल्मियम एवं थुलियम लेजर (Holmium and thulium Laser) ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। पथरी के उपचार के और भी कई तरीके हैं, लेकिन लेजर तकनीक सबसे अच्छी और न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों में से एक है।

किडनी स्टोन का प्राकृतिक उपचार (Natural remedies for kidney stone treatment)

किडनी स्टोन का निवारण कुछ ऐसे प्राकृतिक उपचारों से भी संभव हैं, जो व्यक्ति को इस समस्या से निजात दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं। कुछ प्रमुख प्राकृतिक उपचार निम्नलिखित हैं:

तुलसी के पत्तों का रस:

तुलसी पर किए गए शोध के अनुसार तुलसी की पत्तियों का अर्क (Extract) किडनी स्टोन पैदा करने वाला तत्व अर्थात कैल्शियम ओक्जीलेट (Calcium oxalate) को कम करने का काम करता है। अत: तुलसी के पत्तों (basil leaves) का सेवन किडनी के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसलिए हर सुबह तुलसी के एक चम्मच पत्तों के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर पीएं। इससे किडनी स्टोन के दर्द में आराम मिलेगा।

लेमन जूस का उपयोग: 

नियमित रूप से लेमन जूस (lemon juice) का सेवन किडनी स्टोन के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होता है। नींबू के रस में मौजूद साइट्रिक एसिड शरीर में पथरी निमार्ण की प्रक्रिया को रोककर, किडनी स्टोन को हटाने में सहायता करता है।

अनार के जूस का प्रयोग:

एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध के अनुसार, अनार का जूस (Pomegranate juice) किडनी के लिए अच्छा होता है। यह किडनी में होने वाली विषाक्तता अर्थात नेफ्रोटॉक्सिसिटी (nephrotoxicity) को दूर करके, किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी को बढ़ने से रोकता है। साथ ही यह गुर्दे की पथरी को कई टुकड़ों में तोड़कर शरीर से बाहर निकालने में भी मदद करता है।

तरबूज का सेवन:

किडनी स्टोन के समय तरबूज का उपयोग करना भी लाभप्रद रहता है। इसमें पोटैशियम और पानी की अच्छी मात्रा पाई जाती है। जो पथरी को शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसलिए गुर्दे की पथरी होने पर तरबूज का अधिक सेवन करना चाहिए।

गेहूं के जवारे का उपयोग:

गुर्दे की पथरी के अलावा किडनी से संबंधित अन्य समस्याओं के लिए गेहूं के जवारे का इस्तेमाल करना फायदेमंद साबित होता है। इसलिए किडनी स्टोन होने पर आप गेहूं के जवारे के जूस में एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस या नींबू का रस डालकर पी सकते हैं। ऐसा करने से आपको गुर्दे की पथरी में आराम मिलेगा।

अदरक का इस्तेमाल: 

अदरक में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। जो गुर्दे की पथरी को हटाने में मदद करते हैं। इसलिए किडनी स्टोन होने पर अदरक (Ginger) का उपयोग करना अच्छा रहता है।

सौंफ का प्रयोग: 

सौंफ का इस्तेमाल भी पथरी के लिए प्राकृतिक उपचार के तौर किया जाता है। दरअसल सौंफ में एंटी-यूरोलिथिएटिक प्रभाव पाया जाता है। जो किडनी स्टोन को गलाने और उसके आकर को कम करने का कार्य करता है।

बिच्छू पत्तियों का उपयोग:

यह प्राकृतिक औषधि मूत्राशय एवं गुर्दे में पानी के प्रवाह को बनाने का काम करती है। इससे व्यक्ति को यूरिन (पेशाब) के वक्त किसी परेशानी या कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता। वहीं, बिच्छू की पत्तियों (Nettle Leaf) के इस्तेमाल से किडनी स्टोन से बैक्टीरिया को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है।

अजमोद का इस्तेमाल:

अजमोद को स्पस्मोडिकरोधी गुणों के लिए बेहतर औषधि माना जाता है। जो किडनी पेन (गुर्दे के दर्द) में राहत देने और किडनी स्टोन से विषाक्त पदार्थों को क्लीन (साफ) करने का काम करते हैं। इसके अलावा अजमोद का प्रयोग मूत्र की मात्रा बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। जिससे पथरी को बॉडी से बाहर निकालने में मदद मिलती है।

पानी का अधिक सेवन: 

गुर्दे की पथरी से पीड़ित व्यक्ति को रोजाना 10-12 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। दरअसल पानी बॉडी में मौजूद विषैले पदार्थों को मूत्र के रास्ते शरीर से लगातार बाहर करता रहता है। इससे किडनी स्टोन को हटाने में भी मदद मिलती है। इसके विपरीत शरीर में पानी की कमी स्वयं किडनी स्टोन का कारण बनती है। इसलिए शरीर में कभी पानी की कमी न होने दें।

पथरी निकलने के बाद उपचार के उपाय (Post-treatment care after kidney stone removal)

पथरी निकल जाने के बाद, नई पथरी न बने इसका हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए हमें अपनी सेहत की अच्छे से देखभाल करनी चाहिए। यहां पर कुछ ऐसे ही इलाज के बाद (पोस्ट-ट्रीटमेंट) वाले केयर टिप्स दिए गए हैं। जिनका हमें ख्याल रखना चाहिए:

दवाइयों का ध्यान रखें (Take care of medicines): 

किडनी स्टोन निकलवाने (रिमूव) के बाद कुछ समय दर्द होना बेहद आम है। इसके लिए डॉक्टर कुछ मेडिसिन (Medicine) भी लिख सकता है। इन दवाओं का सेवन सदैव डॉक्टर के परामर्शानुसार समय से करें। 

हाइड्रेशन (Hydration): 

स्टोन निकलने के बाद रोज ढेर सारा पानी पीएं। ऐसा करने से पथरी के छोटे से छोटे टुकड़े को गुर्दे से बाहर निकालने में मदद मिलेगी। साथ ही नए स्टोन का निर्माण भी नहीं हो सकेगा। इसलिए दिन में कम से कम 2-3 लीटर पानी अवश्य पीएं।

आहार (Diet): 

गुर्दे की पथरी निकलने के बाद एक स्वस्थ और संतुलित आहार का विशेष ध्यान रखें। अत: सोडियम, पशु प्रोटीन, उच्च ऑक्सालेट (high oxalate) खाद्य पदार्थ और नट्स का सेवन करने से बचें या सीमित मात्रा में करें।

गतिविधि (Activity): 

किडनी स्टोन रिमूव कराने के बाद हल्की शारीरिक गतिविधियां जैसे व्यायाम आदि फायदेमंद होती हैं। हालांकि शुरुआती कुछ दिनों तक कोई भी भारी सामान उठाने और एक्टिविटी करने से बचें। फिर जब आप जैसे-जैसे बेहतर महसूस करें, एक्टिविटी अर्थात गतिविधि के स्तर को धीरे-धीरे बढ़ाएं।

फॉलो-अप (Follow-up): 

नियमित समय पर अपने डॉक्टर के पास फॉलो-अप के लिए जाते रहें। डॉक्टर के कहने पर ही दवाइओं के सेवन को बन्द करें और फॉलो-अप को खत्म करें।

किडनी स्टोन को बनने से रोकने के उपाय (Tips for preventing kidney stone formation)

ऑक्सालेट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने से ऑक्सालेट पथरी (oxalate kidney stones) के खतरे को कम करना संभव है। उच्च ऑक्सालेट खाद्य पदार्थ में शामिल हैं:

पेय पदार्थों में- कोको, कड़क उबली हुई चाय, चॉकलेट, केडबरी, ड्रिंक्स आदि।

साग-सब्जी में- बैंगन, भिण्डी, सहजन, पालक, टमाटर, ककड़ी आदि।

फलों में- आंवला, चीकू, रसभरी, स्ट्राबेरी, शरीफा, काजू, मूंगफली आदि।

इसके अलावा शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ाने वाले खाघ पदार्थों का सेवन कम करके भी किडनी स्टोन को बनने से रोका जा सकता है। कुछ ऐसे पदार्थ निम्नलिखित हैं:

शराब, होल व्हीट ब्रेड, स्वीट ब्रेड, आदि।

दालों में- मसूर दाल, मटर और सेम आदि।

सब्जी एवं फल में- बैंगन, मशरूम, फूलगोभी, पालक, सीताफल, चीकू, कद्दू आदि।

मांसाहार पदार्थों में-  मछली, अंडा, मुर्गा आदि।

चिकित्सक के पास जाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें (Things to consider before visiting a doctor)

कई-कई बार गुर्दे की स्टोन का दर्द बहुत ही तेज और काफी देर तक रहता है। ऐसे में कई बार पथरी के दर्द (stone pain) के साथ जी मिचलाना और उल्टी जैसे मन भी होने लगता है, यूरिन करते वक्त बदबू और खून आने लगता है, पेशाब करने के दौरान तेज जलन होने लगती है। ऐसे में बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें और पथरी का इलाज (Pathri ka ilaj) कराएं। वहीं, जब आप चिकित्सक के पास जाएं तो निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखें:

  • 1. अपने लक्षण और समस्याओं के बारे में चिकित्सक को सही और पूरी जानकारी दें। ताकि चिकित्सक (Doctor) आपकी समस्या अर्थात गुर्दे की पथरी के समाधान के लिए आपको सही उपाय बता सके।
  • 2. वर्तमान और पहले की सभी स्वास्थ्य संबंधित रिपोर्ट्स चिकित्सक को दिखाएं। इससे चिकित्सक को आपके स्वास्थ्य और किडनी स्टोन की स्थिति को समझने में मदद मिलेगी।
  • 3. चिकित्सक को अपनी डाइट (diet) और पहले से चल रही सभी दवाओं के बारें में बताएं। इससे चिकित्सक को आपके प्रति सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी और दुष्प्रभावों (side effects) से भी बचा जा सकता है।
  • 4. आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए अर्थात परहेज के बारे में डॉक्टर से जरूर पूछें।
  • 5. किडनी स्टोन या अन्य किसी भी समस्या के पूर्ण समाधान होने तक समय-समय पर अपने चिकित्सक के पास फॉलो-अप के लिए जाते रहें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कितने mm की पथरी को बिना सर्जरी के निकाला जा सकता है?

आमतौर पर, जो पथरी 5 मिलीमीटर से छोटी होती हैं। उनको बिना ऑपरेशन के भी निकाला जा सकता है। लेकिन इसके लिए सही इलाज (Treatment) और पानी के अधिक सेवन की जरूर होती है। वहीं, 5 मिलीमीटर से बड़ी पथरी को निकालने के लिए डॉक्टर की मदद लेनी पड़ सकती है।

क्या किडनी की पथरी अपने आप निकल जाती है?

हां, कुछ किडनी स्टोन अपने आप भी निकल जाती हैं। ये आमतौर पर 5 मिलीमीटर से छोटी पथरियां होती हैं, जो पेशाब (Urine) के दौरान अपने आप बाहर आ जाती हैं। लेकिन 5 मिलीमीटर से बड़ी पथरियों के लिए, चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके अलावा कुछ लोगों में पथरी को खुद से बाहर आने में समय भी लग सकता है। और यह समय कई हफ्तों तक भी हो सकता है। ऐसे में आपको अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

क्या किडनी स्टोन दवा से ठीक हो सकती है?

हां, किडनी स्टोन को दवा से ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसमें कितना समय लगेगा यह दवाओं के प्रकार, स्टोन के साइज, पथरी के प्रकार और व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है।

आप 9mm किडनी स्टोन से कैसे छुटकारा पा सकते हैं?

9mm की बड़ी पथरी को निकालना थोड़ा कठिन होता है। इसके लिए आपको डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं, जो आपको इस समस्या से राहत प्रदान करने में मददगार सिद्ध होंगे:

  • 1. बहुत पानी पीएं।
  • 2. खाने में सोडियम की मात्रा कम कर दें।
  • 3. प्रोटीन और ओक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें।
  • 4. नियमित व्यायाम करें।
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4 एमएम की पथरी कितनी बड़ी होती है?

4 एमएम की पथरी बेहद छोटी स्टोन होती है। 4 एमएम की पथरी आमतौर पर अपने आप निकल सकती है। लेकिन यदि इसमें तेज दर्द या अन्य लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। 

किडनी से 5 एमएम की स्टोन को कैसे निकाल सकते हैं?

किडनी से 5 एमएम की स्टोन अक्सर प्राकृतिक रूप से पेशाब के साथ निकल जाती है। यह कुछ हफ्तों या कुछ महीनों में हो सकता है। लेकिन कुछ मामलों में, स्टोन निकलने में समस्या भी हो सकती है। जो आपको डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए मजबूर कर सकती है।

क्या 7 एमएम की किडनी स्टोन घुल सकती है?

स्टोन घुलने की संभावना उनके स्थान और आकार पर निर्भर करती है। हालांकि 7 एमएम की किडनी स्टोन का घुल कर निकलना भी संभव है। यह स्टोन आमतौर पर पेशाब के रास्ते बाहर निकल आती है। लेकिन कई बार 7 एमएम की पथरी के लिए अक्सर उपचार की भी आवश्यकता पड़ सकती है। 

किडनी स्टोन को प्राकृतिक रूप से कैसे हटाया जाता है?

किडनी स्टोन को प्राकृतिक रूप से निकालने के लिए कुछ प्रभावी उपाय निम्नलिखित हैं:

  • 1. पानी की मात्रा बढ़ाएं: रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं। यह पथरी को यूरिन के रास्ते बाहर निकालने में मदद करता है।
  • 2. नियमित व्यायाम करें: व्यायाम करना पथरी को निकालने के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। वहीं, किडनी स्टोन के उपचार में योग और व्यायाम दोनों ही उपयोगी हैं।
  • 3. पोषक तत्वों से समृद्ध आहार: अपनी डाइट में उर्वरक और प्रोटीन वाले खाने की मात्रा कम करें। इसके अलावा मैग्नीशियम और पोटैशियम से समृद्ध आहार किडनी स्टोन में उपयोगी साबित हो सकता है।
  • 4. औषधि: कुछ प्राकृतिक दवाइयों जैसे कि, तुलसी, सौंफ, बिच्छू पत्ती, अजमोद, गेहूं के जवारे, त्रिकटु, श्वेत पर्णी, वसंत कुसुमाकर रस और गोखरू की जड़ आदि पथरी से राहत दिलाने में मदद करती हैं। इन जड़ी-बूटी का इस्तेमाल चिकित्सक परामर्शानुसार करें।

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किडनी स्टोन के इलाज में कितना समय लगता है?

किडनी स्टोन के इलाज में लगने वाला समय पथरी के आकार, प्रकार, स्थान, इलाज का प्रकार और उपचार पर निर्भर करता है। अधिकांश मामलों में, छोटी किडनी स्टोन को प्राकृतिक तरीकों से हटाया जा सकता है। प्राकृतिक रूप से पथरी को निकालने में कुछ हफ्तों का समय लग सकता है। वहीं, बड़ी पथरी के मामले में चिकित्सीय इलाज (medical treatment) की जरूर पड़ती सकती है। जो अलग-अलग विधियों जैसे- लेजर या शोक वेव लिथोट्रिप्सी, अल्ट्रासाउंड लिथोट्रिप्सी या सर्जरी आदि। इन उपचारों में से कुछ उपचारों में एक दिन से भी कम समय लगता है। लेकिन, कुछ उपचारों में कुछ सप्ताह भी लग सकते हैं।

क्या किडनी स्टोन का इलाज बिना सर्जरी के संभव है?

हां, कुछ मामलों में किडनी स्टोन का इलाज बिना सर्जरी के संभव है। सामान्यतः छोटे साइज की स्टोन (5 मिलीमीटर से कम) यूरिन द्वारा खुद बाहर निकल जाती हैं। इसके अलावा, इस साइज की पथरी के लिए कुछ दवाओं का उपयोग भी किया जा सकता है। जो किडनी स्टोन को गलाने में मदद करती हैं या स्टोन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर उसे स्वत: निकलने में सहायता करती हैं। इसके विपरित यदि स्टोन का साइज बड़ा है (अधिकतम 10 मिलीमीटर) या पथरी निकालने के लिए अन्य उपचारों से कोई फायेदा नहीं होता तो सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ती है।

क्या किडनी स्टोन का इलाज आहार और व्यायाम से हो सकता है?

हां, किडनी स्टोन का इलाज आहार और व्यायाम से भी किया जा सकता है। शुरुआती स्टोन या पथरी के लिए, योग्य आहार और व्यायाम अक्सर स्टोन के निर्माण और उसके बढ़ते आकार को रोकने में मदद करते हैं। व्यायाम करने से शरीर में मौजूद तैलीय तत्वों को घटाया जा सकता है। जोकि किडनी स्टोन के निर्माण (buildup) का कारण बनते हैं। व्यायाम से कमर और पेट के आसपास के क्षेत्रों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। जो किडनी स्टोन को शरीर से बाहर फेंकने में मदद करती हैं।
कुछ आहार जो किडनी स्टोन के निर्माण को कम करने में मदद करते हैं, उनमें शामिल हैं:

  • 1. पानी की अधिक मात्रा का सेवन करने से यूरिन की मात्रा बढ़ती है। जिससे स्टोन का निर्माण कम होता है।
  • 2. अधिक प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करने से बचें।
  • 3. अधिक सोडियम वाले आहार का सेवन करने से बचें।
  • 4. गाजर, मटर, तोरी जैसी सब्जियों को खाने से बचें।
  • 5. ऑक्सलेट से भरपूर आहार जैसे की चाय, चॉकलेट, मक्खन, तेज मसाले और नमकीन आदि को खाने से बचें।

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किडनी स्टोन का इलाज कराने के बाद क्या प्रेगनेंसी कर सकते हैं?

किडनी स्टोन के इलाज के बाद, अधिकांश मामलों में गर्भावस्था (pregnancy) को लेकर कोई समस्या नहीं होती है। फिर भी प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले एक बार इसकी जांच अवश्य करा लें। क्योंकि यदि स्टोन का इलाज लेजर या स्कोपी से किया गया है, तो डॉक्टर कुछ समय के लिए प्रेग्नेंसी से बचाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा, यदि गर्भावस्था के दौरान किडनी स्टोन के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

6 एमएम किडनी स्टोन को कैसे निकाला जा सकता है?

6 एमएम की किडनी स्टोन को कई तरीकों से निकाला जा सकता है। इनमें कुछ उपाय निम्नलिखित है:

दवाओं या उपचार: 

कुछ दवाओं का उपयोग करके छोटी किडनी स्टोन को निकाला जा सकता है। वहीं, उपचार के लिए लेजर, उल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन जैसी प्रक्रियाओं का भी उपयोग किया जा सकता है।

स्वच्छ पानी पीना: 

अधिक मात्रा में पानी पीने से किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद मिलती है। यह किडनी स्टोन के बनने का कारण बनने वाले विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है।

योगाभ्यास: 

कुछ योग आसन जैसे पवनमुक्तासन, उत्तानासन आदि किडनी स्टोन को निकालने में मदद कर सकते हैं।

किडनी स्टोन का इलाज कराने से पहले कौन से टेस्ट किए जाने चाहिए?

किडनी स्टोन के इलाज से पहले डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री को जानने और जांच के लिए कुछ टेस्ट करा सकता है। जोकि निम्न हैं:

यूराइन कलेक्शन टेस्ट: इस टेस्ट से यह जांचा जाता है कि, आपके यूरीन में खनिज तत्वों की मात्रा सही है या नहीं। आपको कोई इंफेक्शन तो नहीं है।

खनिज तत्वों की जांच: इसमें खनिज तत्वों की जांच के लिए, डॉक्टर आपके रक्त (blood) और यूरीन का नमूना लेकर खनिज तत्वों की जांच करेगा।

किडनी और यूरेटर एक्स-रे: इस टेस्ट में, एक एक्स-रे मशीन के द्वारा किडनी और यूरेटर का एक्स-रे लिया जाता है। यह एक्स-रे (X-Ray) किडनी स्टोन के साइज और स्थान की जांच करने में मदद करता है।

कम्प्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी (CT) स्कैन: यह टेस्ट किडनी स्टोन के आकार, स्थान और प्रकार की जांच करने में सहायता करता है। इस टेस्ट के अलावा डॉक्टर्स अपने हिसाब से कुछ अन्य टेस्ट भी करा सकते हैं।

किडनी स्टोन का इलाज कराने के बाद क्या आहार लेना चाहिए?

किडनी स्टोन के इलाज के बाद, आहार में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • 1. दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं।
  • 2. कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • 3. अधिक मात्रा में ऑक्सालेट वाले पदार्थ जैसे कि, सूखे मेवे, मूंगफली, पालक, स्ट्राबेरी, गेहूं का चोकर (Wheat Bran) आदि न खाएं।
  • 4. ज्यादा सोडियम वाला खाना (नमक, फास्ट फूड, डिब्बा बंद खाना, मीट आदि) न खाएं।
  • 5. एनिमल प्रोटीन (मीट, अंडा, मछली, दूध, पनीर और अन्य डेरी प्रोडक्ट) का सेवन करने से बचें।
  • 6. अल्कोहल का सेवन बिल्कुल न करें।

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किडनी स्टोन का इलाज कराने के बाद संभव है, कि स्टोन फिर से हो जाएं?

हां, किडनी स्टोन का इलाज कराने के बाद भी स्टोन के फिर से होने की संभावना रहती है। इसलिए इलाज के बाद डॉक्टर द्वारा बताए गए आहार और जीवनशैली का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर द्वारा निर्धारित समय पर नियमित चेकअप के लिए भी अवश्य जाना चाहिए।

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